Wednesday, March 07, 2012

हाँ में एक चित्रकार हूँ
रंगों से खेलता हूँ

कभी कभी कैद कर लेता हूँ अपनी भावनाओ को इन रंगों में
सोचता हूँ की शायद कभी सजाने के बहाने ही ले जाओगे तुम  इन चित्रों को
और सुनोगे गीत मेरे अन्तर्मन के इन चित्रों में
जब पाओगे खुद को अकेला

हाँ
सच ही तो है
बस सपना ही तो देखता हूँ मैं
क्योंकि जानता हूँ में कि
मेरे चित्रों में जीवन ही कहा है

हाँ पता है मुझे
मेरे चित्रों के सागर मैं
कोई भी मछली नहीं तैरती

कृते अंकेश   

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