Wednesday, December 22, 2010

प्रश्न


अपनो की हरकतो ने
गैरो का घर बसाया
जो आबो हवा दी थी मैंने
उसमे जहर  मिलाया
 कैसे कहू में सपना
 मेरा कभी न यह था
आज़ादी को मेरी
बंधन बनाया उसने
बिखरे  हजारो रंगो में
में रंग बस यह भूला
मेरी सदी का सपना
पल में भुलाया उसने  
कैसे बताऊ उनको
तुम भी हो मेरे अपने
उन अपने ही शब्दो  ने
जिन्दा जलाया मुझको

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