Monday, November 16, 2015

में हिन्दी हूँ
मुझसे निकली जाने कितनी गाथाएँ
कितने शब्दों ने आकर मुझमें ली पनाहे
रूप रंग या क्षेत्रवाद से रही नही में कभी बंधी
जिसने मुझको जैसे बोला
उनके शब्दों में जा मिली
कहते है जो अशुद्ध हो चुकी आज हमारी हिन्दी हैं
नहीं समझते है लेकिन वो हिन्दी रही बदलती है
अस्पताल भी हिन्दी हैं और चाऊमीन भी हिन्दी हैं मेकडोनाल्ड का पिज्जा बरगर भी अब पूरा हिन्दी हैं
हिन्दी हिन्द की भाषा है हर शब्द हिन्द का हिन्दी हैं
चाहे लगे वो तमिल देखने में या चाहे वो सिन्धी हैं

कृते अंकेश

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