Monday, November 16, 2015

जब थक जाओ
दुनिया भर की मुश्किल जब अपना कद लम्बा कर आ सामने विकराल रूप में डट जाये
पथ नहीं दिखे, उम्मीद छिपे, स्वेद तुम्हारा पानी बन धरती में जा चुपचाप मिले
प्रहरी जग के जब सोये रहे, सुख के सब क्षण जब खोये रहे
उस पल का अंतर तय करता
जो डटा रहा वह जीत गया
जो हटा नहीं वह जीत गया
जो थका मगर नहीं वह जीत गया

कृते अंकेश

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