Friday, May 02, 2014

क्यों उदासी से भरी तेरी खुशी, तेरी हसी
क्यों हैं गुमसुम सी पड़ी, रंगीन तेरी जिंदगी
क्यो खिला चेहरा तेरा, है आँसूऔ से भीगता
यह निशब्द वाचाल मन, आवाज किसकी खीचता
क्या रूके है पग कभी, जिंदगी के शमशान से
है सफल वो जिसने देखें, सुख और दुख मेहमान से
ठोकरो में जो चला है, जिंदगी के हर कदम
छीन ही लाया है सपना, था सहेजे उसका जो मन

कृते अंकेश

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