Saturday, March 08, 2014

इन कंक्रीट के जंगलो में
आदमी ही आदमी का शिकार करता है
गगनचुम्बी इन इमारतो के अंदर
एक गहरी खाई है
जिसमे सपनो का प्रतिबिम्ब दिखता है
जैसे जैसे आप ऊचाइयो को पाते है
वह प्रतिबिम्ब आपसे उतना ही दूर होता जाता है
हवा, रौशनी , हॅसी , मुस्कराहट सब अपनी है इस जंगल की
उतनी ही कृत्रिम जितनी की यह इमारत

कृते अंकेश

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