Friday, January 22, 2010

उत्तर

कही ठोकर ही मिलती है
संभलना भी वही आता
कही महलो में रहते हैं
जमाना पर्दों में छिप जाता
मुझे ठोकर ही देना तुम
तेरी दुनिया बड़ी प्यारी
तबियत भी अगर बिगड़े
सिखाती यह दुनियादारी
शिकायत हैं जिन्हें कह दू
जरा शबनम से जा पूछो
कितने साल गर्भ में धरती के
मोम के हैं बीते
फिर भी पिघलता हैं
किसी को रोशनी देकर
खुद चला जाता
वापस अँधेरे में ..........

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