Thursday, September 18, 2014

मायूसी तुम्हें किसका इंतजार हैं
चेहरे तुम्हें ओढ़कर बिखरे हुए है
फिर किसके लिए तुम्हारा दिल बेकरार हैं
मेरी मुस्कान तुम्हारी इज्जत करती हैं
इसीलिए यदा कदा वो चेहरे पर सवरती हैं
छोड़कर तुम्हारी संगत अब तो यह काया भी सांस न लिया करती है
लगता हैं जैसे इसको तुमसे ही प्यार हैं
मायूसी सच कहो तुम्हें किसका इंतजार हैं

कृते अंकेश

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