Saturday, March 09, 2013

विघ्न को जो ढूंढता वो  विघ्न का तारक कहा 
 मृत्यु का जो मार्ग रचता पथ प्रदर्शारक कहा 
क्षोभ है न है   क्षमा क्या  अनुसरण उसका करे 
काल से जो न डरा क्या भला उसको कहे 

है नहीं जीवन अनेको मृत्यु भी बस एक है 
एक है अवसर  यहाँ, एक ही जो शेष है 
इतिहास रचते है वही जो न डरे है काल से 
मृत्यु को रखते सिरहाने विघ्न मिटाते भाल से 

क्षोभ उनको है नहीं थे सदा स्पष्ट जो 
और क्षमा संभव नहीं जब चल पड़े दुर्गम पथो को 
अब तो तय करना समय को जीत है या हार है 
शेष श्वासे भी रहेंगी या शेष मात्र संसार है 

कृते अंकेश 

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