Friday, September 14, 2012

क्षीणता आह्वान करती 
अब त्वरित संहार हो 
शेष कुछ भी न रहे 
विस्मित सकल संसार हो 

कब तक  विषमता से  चलेगा 
संघर्ष इस विश्व  का 
स्वप्न समता का रहेगा
लक्ष्य एक अवदीप्त सा 

छोड़ जीवन की क्षुधा  को 
अब मृत्यु का व्यापार हो 
शेष कुछ भी न रहे 
विस्मित सकल संसार हो  

कृते अंकेश 

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