Friday, June 08, 2012

सूक्ष्मता 
इतनी विरल 
जटिलता या सरल 
गहन गूढ़ चितन में लुप्त मन अविरल 
प्रश्न यह निश्चल 
जीवंत मुखर तरल 
अनुत्तरित प्रस्तावना सकल 
चाहे आज या कल 
समय चंचल  
चल दो कदम तो चल 

अंकेश 

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