Thursday, November 25, 2010

पलको को आराम कहा
सारी रातें   वो जगती है
जब किरण भोर की आती है
थकती सी अखियो पर गिरती है


बैचैन बनी बावरी सी
बस तस्वीरो को तकती  है
बिखरी सी रातो में खोयी
यादो में डूबी ठगती  हैं 



अनजान बने दुनिया सारी
नादान बनी यह हसती है
जब किरण भोर की आती है
थकती सी अखियो पर गिरती है

No comments: