Wednesday, November 26, 2014

भावनाए मनुष्य में जन्मजात होती है
हार्मोन्स का फ्लो इन्हे एपीटौम पर ले जाता है
बच्चे भावनाओ की क्षणभंगिमा एवं निश्छलता का सजीव उदहारण है
आँखो के आंसू कब मुस्कान में बदल जाये पता ही नहीं चलता
उनकी मेमोरी पूर्ण विकसित नहीं होती
इसलिए वह अपने से छल नहीं कर पाते
इसीलिए भावनाओ का प्रदर्शन सभ्य समाज में बचपने के नाम से जाना जाता है
विकास के क्रम में हम भावनाओ का दमन करते है
और एक निष्ठुर ह्रदय बन जाते है

कृते अंकेश

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