बारात
बारात बस पहुचने ही वाली थी, सारे यार दोस्त जम के नाच रहे थे। पांच मीटर
की दूरी एक आध घंटे में तय हो रही थी। बैंड भी अपनी पूरी शोहरत बिखेरने में
लगा हुआ था । हुड़दंग अपनी चरम सीमा पर था। गानो की फरमाइशें की जा रही थी
और बैंड वाला गायक एक साथ किशोर, रफ़ी, कुमार शानू बना हुआ एक ही सुर में
सभी गानो को गाये जा रहा था। लोग इतने बेसुध थे कि कोई अगर मैयत का राग भी
छेड़ दे, तो वह उस पर भी नाच दे। शादी के
मंडप का दरवाजा अब सामने ही दिख रहा था। उधर की तरफ के कुछ लोग भी नृत्य
दर्शन करने आ गए थे। भारतीय बारातो में होने वाला यह नृत्य दर्शन अभिनय की
चरम सीमा होता है। नृत्य न जानने वाले भी भरे बाज़ार में असंख्य लोगो के बीच
इतने विश्वास नृत्य करे, यह भला मज़ाक थोड़े ही है।
इन सब के बीच
मेरी व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। माना नृत्य देखकर मुझे भी मजा आता है,
मैंने भी कई शादियो में ऐसे ही नृत्य किया है, लेकिन जब खुद पर आती है, तब
पता चलता है। आज यह नृत्य देख मुझे ऐसा लगने लगा मानो किसी ने व्यंजनो की
दुकान के आगे खड़ा करके हाथ पैर बाँध दिए हो। लेकिन जब आदमी कुछ नहीं कर
पाता है, तब वह परोपकारी बनने का प्रयत्न करता है। मैंने भी मान लिया कि
दूसरो की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है। में भी दोस्तो के नृत्य को देखकर आनंद
का अनुभव करने लगा।
गाने एक एक कर बदलते जा रहे थे, लोग नाच नाच
कर पसीना हो गए थे, बारात लगभग थम ही गयी थी, घोड़ी भी अब स्थिर होकर नृत्य
देख रही थी, कि तभी अचानक गाने की आवाज़ में ब्रेक लग गया। हेलो, टेस्टिंग, -
बन, टू ,थ्री, शायद एम्पलीफायर में खराबी आ गयी थी। दोस्त लोग बैंड वाले
पर भड़कने लगे, यह क्या बात हुई, अभी तो मूड में आने वाले थे और अभी गाना
बंद कर दिया। बैंड वाला तुरंत जाकर वैद्युत उपकरणो को देखने लगा, लेकिन
उसकी मनोदशा को देखकर पता चलता था कि उसे कुछ नहीं पता। लड़की के पिताजी भी आ
पहुंचे थे और यह भानकर कि कुछ गड़बड़ हुई है, जायजा लेने में लगे हुए थे कि
तभी किसी ने बोला, अरे मिंकू तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है न, उधर घोड़ी पर
क्या बैठे हो, इधर आओ और एम्पलीफायर सही करो।एक तो तुम्हारी शादी में फ्री
में डांस कर रहे है और तुम मज़ा भी बिना मेहनत के वसूलना चाहते हो।
अभी कुछ देर पहले तक जो निगाहे उस नृत्य मंडली पर थी, वो अचानक से मेरे
ऊपर आ टिकी, मरता क्या न करता, में उतरने लगा कि तभी कोई बोला, हाँ हाँ,
पता भी तो कर ले कि यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है भी या नहीं, वरना बाद में
पता चला ऐसे ही किसी को अपनी लड़की दे दी। मुझे गुस्सा तो बहुत आया, पर कहते
है न, कि समझदारी इसी में है कि गुस्से पर काबू रखो, आखिर शादी तो मेरी ही
है न, उनका क्या बिगड़ेगा अगर कुछ उल्टा सीधा हो गया, यह सोचकर में बैंड के
उपकरणो की तरफ चलने लगा।
सभी लोग मेरी ओर देख रहे थे, मेरे माता
पिता उम्मीदो के साथ, भाई होसला बढ़ाते हुए, पडोसी कपटी मुस्कान के साथ और
लड़की के पिता शक भरी निगाहो से। एक तो यह एम्पलीफायर न जाने किस कबाड़ से
निकाला हुआ था, किसी पुराने उपकरण को जोड़कर गाने वाली मशीन बना दी और अब
मुझे थमाकर बोला जा रहा है, या तो मशीन को पहले जैसा करो वरना बोलो की तुम
इंजीनियर नहीं हो और शादी, उसके बारे में तो में सोच ही नहीं पा रहा था।
मैंने वहा तारो को देखना शुरू किया, मैंने बैंड वाले से पूछा, मल्टीमीटर
है? वह आश्चर्य से मेरी ओर देखकर बोला, नहीं हम पियानो से ही काम चला लेते
है। तभी कोई रिश्तेदार बोला, अरे अब तुम जो है उसी को सही कर दो न, क्या
इजूल फिजूल की चीज़े मांगने में लगे हो।
कहते है जब मुसीबत आती
है, छप्पर फाड़ के आती है। बीच सड़क पर आपकी क्वालिफिकेशन का परिक्षण आपको
ऐसे लोगो को देना है, जिन्हे कुछ ज्ञान नहीं और आपका इंजीनियर होना या न
होना बस अब एम्पलीफायर के बापिस बजने तक सीमित है।
मुझे ज्ञान का महत्व पता है लेकिन ज्ञान को प्रमाणित करने का गुर शायद मेरे गुरु मुझे सिखाना भूल गए थे।
तभी अचानक से बूंदाबांदी शुरू हुई और देखते ही देखते बारिश होने लगी। सभी
लोग दौड़कर मंडप की ओर जाने लगे। मेरे होने वाले ससुर मुझे चलने का इशारा कर
रहे थे। में तो उम्मीद ही छोड़ बैठा था लेकिन लगता है भगवान ने मेरी इज़्ज़त
रख ली।
कृते अंकेश।
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