जिसे प्रदर्शन की आवश्यकता पड़े
वह प्रेम नहीं है
प्रेम मौन में भी हो सकता है
प्रेम विध्वंश में भी
प्रेम सभ्यता के साथ हो सकता है
प्रेम समाज के विरूद्ध भी
प्रेम अनोखा भी हो सकता है
प्रेम सरल भी
लेकिन जिसे प्रदर्शन की आवश्यकता पड़े
वह प्रेम नहीं है
वह प्रेम नहीं है
प्रेम मौन में भी हो सकता है
प्रेम विध्वंश में भी
प्रेम सभ्यता के साथ हो सकता है
प्रेम समाज के विरूद्ध भी
प्रेम अनोखा भी हो सकता है
प्रेम सरल भी
लेकिन जिसे प्रदर्शन की आवश्यकता पड़े
वह प्रेम नहीं है
कृते अंकेश
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