भावनाए मनुष्य में जन्मजात होती है
हार्मोन्स का फ्लो इन्हे एपीटौम पर ले जाता है
बच्चे भावनाओ की क्षणभंगिमा एवं निश्छलता का सजीव उदहारण है
आँखो के आंसू कब मुस्कान में बदल जाये पता ही नहीं चलता
उनकी मेमोरी पूर्ण विकसित नहीं होती
इसलिए वह अपने से छल नहीं कर पाते
इसीलिए भावनाओ का प्रदर्शन सभ्य समाज में बचपने के नाम से जाना जाता है
विकास के क्रम में हम भावनाओ का दमन करते है
और एक निष्ठुर ह्रदय बन जाते है
हार्मोन्स का फ्लो इन्हे एपीटौम पर ले जाता है
बच्चे भावनाओ की क्षणभंगिमा एवं निश्छलता का सजीव उदहारण है
आँखो के आंसू कब मुस्कान में बदल जाये पता ही नहीं चलता
उनकी मेमोरी पूर्ण विकसित नहीं होती
इसलिए वह अपने से छल नहीं कर पाते
इसीलिए भावनाओ का प्रदर्शन सभ्य समाज में बचपने के नाम से जाना जाता है
विकास के क्रम में हम भावनाओ का दमन करते है
और एक निष्ठुर ह्रदय बन जाते है
कृते अंकेश
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