फिर क्यों न कहें परिजन वनिता
शब्दों के सहज अनुगामी विरल
अवधि होती हैं अल्प तरल
समता होती है अति सरल
बहते क्यों हैं संदेशों में
तकते क्यों हैं अनुदेशों में
रखते क्यों हैं स्वभाव विकल
जुड़ता हैं संशय बन विह्वल
शब्दों के सहज अनुगामी विरल
अवधि होती हैं अल्प तरल
समता होती है अति सरल
बहते क्यों हैं संदेशों में
तकते क्यों हैं अनुदेशों में
रखते क्यों हैं स्वभाव विकल
जुड़ता हैं संशय बन विह्वल
कृते अंकेश
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