पथ कितने, रथ कितने, कितने महल बना लो
चाहो तो अगणित वैभव का अम्बार लगा लो
जब न्याय का शंख बजेगा लुटा हुआ पाओगे
देख फसे सारे मोहरे चेस्ट पैन ही लाओगे
चाहो तो अगणित वैभव का अम्बार लगा लो
जब न्याय का शंख बजेगा लुटा हुआ पाओगे
देख फसे सारे मोहरे चेस्ट पैन ही लाओगे
अंकेश
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