सूर्य का पथ है प्रशस्त
तेज़ है गंभीर है
जिस पथ चला दिन है जगा
स्वर्णिम सदा तस्वीर है
किन्तु विरले ही है हँसा करते
उसकी छाया तले
सींचते जीवन दे पसीना
क्यो न फिर काया जले
ऐसा ही है चन्द्रमा
रवि किरणो का जो पान करें
तेज़ को अवशोषित कर
जग को उज्जवलमान करें
कृते अंकेश
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