कविता लयबध्द हो
जरूरी नहीं तोड़कर बढ़ सकती है अक्षरो एवं मात्राओ की गिनती
एक विषय पर ही रहे जरूरी नहीं
बदल सकती है अचानक
जैसे प्रेमिका का इंतज़ार करता प्रेमी कल्पना करता है
उसके आने की, न आने की
यह कल्पना ही उसकी कविता है
बीतता हुआ समय उसके शब्द है
विश्व एक मंच और आते जाते लोग श्रोतागण
कविता तो स्वरो की साधना है
प्रार्थना है यह लेखक की
पूजा है कवि की
है कुछ अक्षरो का क्रम उसके लिए
जिसने नहीं जानी कभी इसकी हस्ती
कृते अंकेश
जरूरी नहीं तोड़कर बढ़ सकती है अक्षरो एवं मात्राओ की गिनती
एक विषय पर ही रहे जरूरी नहीं
बदल सकती है अचानक
जैसे प्रेमिका का इंतज़ार करता प्रेमी कल्पना करता है
उसके आने की, न आने की
यह कल्पना ही उसकी कविता है
बीतता हुआ समय उसके शब्द है
विश्व एक मंच और आते जाते लोग श्रोतागण
कविता तो स्वरो की साधना है
प्रार्थना है यह लेखक की
पूजा है कवि की
है कुछ अक्षरो का क्रम उसके लिए
जिसने नहीं जानी कभी इसकी हस्ती
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment