जब थक जाओ
दुनिया भर की मुश्किल जब अपना कद लम्बा कर आ सामने विकराल रूप में डट जाये
पथ नहीं दिखे, उम्मीद छिपे, स्वेद तुम्हारा पानी बन धरती में जा चुपचाप मिले
प्रहरी जग के जब सोये रहे, सुख के सब क्षण जब खोये रहे
उस पल का अंतर तय करता
जो डटा रहा वह जीत गया
जो हटा नहीं वह जीत गया
जो थका मगर नहीं वह जीत गया
दुनिया भर की मुश्किल जब अपना कद लम्बा कर आ सामने विकराल रूप में डट जाये
पथ नहीं दिखे, उम्मीद छिपे, स्वेद तुम्हारा पानी बन धरती में जा चुपचाप मिले
प्रहरी जग के जब सोये रहे, सुख के सब क्षण जब खोये रहे
उस पल का अंतर तय करता
जो डटा रहा वह जीत गया
जो हटा नहीं वह जीत गया
जो थका मगर नहीं वह जीत गया
कृते अंकेश
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