नहीं जाना मुझसे दूर कुछ समय के लिए भी
कैसे कहूँ लगता है वक़्त लम्बा बहुत इंतज़ार का
मानो खिड़की खुलने के लिए करता हो इंतज़ार धुआ
बढ़ता ही जा रहा है अंदर ही अंदर
और घोटने लगा है मेरा ही दम
शिकायते तुम्हे होगी मुझसे
लेकिन शिकायते कभी नहीं होती कम
नहीं छोड़ना कभी भी मुझे
भटकता ही रहूंगा तुम्हारे बिना
इधर से उधर
पूछता
क्या तुम बापिस आओगी
क्या मैं खुद को फिर से पाउँगा
कृते अंकेश
कैसे कहूँ लगता है वक़्त लम्बा बहुत इंतज़ार का
मानो खिड़की खुलने के लिए करता हो इंतज़ार धुआ
बढ़ता ही जा रहा है अंदर ही अंदर
और घोटने लगा है मेरा ही दम
शिकायते तुम्हे होगी मुझसे
लेकिन शिकायते कभी नहीं होती कम
नहीं छोड़ना कभी भी मुझे
भटकता ही रहूंगा तुम्हारे बिना
इधर से उधर
पूछता
क्या तुम बापिस आओगी
क्या मैं खुद को फिर से पाउँगा
कृते अंकेश
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