मित्र बनाते है सीढ़िया
चलकर जिन पर आसानी से ऊचे उठ जाते है हम
देते है हरदम साथ
और लगता नहीं रास्ता लम्बा
जो लगती है ठोकर
तो उठा लेते है पल भर मैं
वो रहते है हमेशा हमारे हृदयो में
उनके बिना जिंदगी रह जायेगी एक अधूरी सीढ़ी
उतरेंगे भी कैसे अकेले इस पर से
पल भी लगेगा न जाने कितना लम्बा
और सोचो क्या ही होगा हाल हमारे ह्रदय का
कृते अंकेश
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