और रो पड़ी वो उस रात
जब छोड़ गया बच्चा भी उसका साथ
नहीं सुनी गयी कोई दूसरी आवाज़
गली का एक कुत्ता आ बैठा देहलीज़ पर चुपचाप
होती रही बरसात
नभ ने भी छलकाये आंसू बार बार
करती रही वो इंतज़ार
नहीं आया कोई अबकी बार
उसके हाथो में सिरहन थी उम्र की
एक थकान थी हताशा की, दुःख की
उसकी आँखों ने खाया था धोखा बार बार
छीना गया था उसका प्यार न जाने कितनी बार
कृते अंकेश
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