अगर तुम्हे ज़िंदगी का महत्व पता है
और करते हो तुम अपने मन की
अगर तुमने बहुत सी किताबे पड़ी है
और सोचते हो कि बचा अभी भी बहुत कुछ पढ़ने को
अगर तुमने कभी सपने अपने हाथो से सजाये है
रेत और सीमेंट को जोड़ कर
अगर तुमने पसीना बहाया है
आराम की ज़िंदगी छोड़ कर
तो जरूरत नहीं होगी तुम्हे परिचय कि मेरे पिता के
कुछ ऐसे ही है वो
कृते अंकेश
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