में उस रात से आगे बढ़कर
कुछ मांगता अपने लिए
इससे पहले ही कह दिया तुमने
कल मिलते है
सुबह की चमक अँधेरे के
बहुत से भेद मिटाती है
लेकिन इस रात की सीमा
बढ़ती ही जाती है
माना कि मैंने कई बार
और भी किया था इंतज़ार
लेकिन अफ़सोस
नहीं किया था मैंने प्यार
कृते अंकेश
कुछ मांगता अपने लिए
इससे पहले ही कह दिया तुमने
कल मिलते है
सुबह की चमक अँधेरे के
बहुत से भेद मिटाती है
लेकिन इस रात की सीमा
बढ़ती ही जाती है
माना कि मैंने कई बार
और भी किया था इंतज़ार
लेकिन अफ़सोस
नहीं किया था मैंने प्यार
कृते अंकेश
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