आप तो न ही करो मुझसे अमरता की बातें
नहीं झेल सकता में इन्हें
जब तय ही कर चुके मेरा भविष्य
तो फिर कैसा भय नश्वरता का
प्रेम भला क्या है
चुम्बक की तरह क्यों खीच लाता है यह बार बार
नाचते हुए इन सर्पो को अलग करने का साहस नहीं है मुझमे
इसीलिए देखता हूँ तुम्हारे चेहरे की और हर बार
कृते अंकेश
नहीं झेल सकता में इन्हें
जब तय ही कर चुके मेरा भविष्य
तो फिर कैसा भय नश्वरता का
प्रेम भला क्या है
चुम्बक की तरह क्यों खीच लाता है यह बार बार
नाचते हुए इन सर्पो को अलग करने का साहस नहीं है मुझमे
इसीलिए देखता हूँ तुम्हारे चेहरे की और हर बार
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment