मेरे शब्द तो तुम्हारे प्रेम में रंगे है
अंतहीन माला कर जाते है फिर दूर कही
सिमटे है मेरे गीत नहीं
उलझे कैशो की लटो सरीखे
माना उलझे है छंद अभी
लेकिन जाते है अधरों तक
कहने को जैसे बात नयी
छिपी हुई मुस्कानों सी
इनकी भी एक परिभाषा है
बस नैनो को तकते रहते
शायद इतनी ही आशा है
उड़ते है तेरे आँचल के संग
तेरी मुस्कानों में घुलते है
तू रहती है जो पास तो रहते
जाने पर तेरे न मिलते है
कृते अंकेश
अंतहीन माला कर जाते है फिर दूर कही
सिमटे है मेरे गीत नहीं
उलझे कैशो की लटो सरीखे
माना उलझे है छंद अभी
लेकिन जाते है अधरों तक
कहने को जैसे बात नयी
छिपी हुई मुस्कानों सी
इनकी भी एक परिभाषा है
बस नैनो को तकते रहते
शायद इतनी ही आशा है
उड़ते है तेरे आँचल के संग
तेरी मुस्कानों में घुलते है
तू रहती है जो पास तो रहते
जाने पर तेरे न मिलते है
कृते अंकेश
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