औरत जन्म देती है पुरुष को
पालती है गर्भ में नौ महीने उस भ्रूण को
रचती है भाग्य और विधान उसके कल का
सहती है फिर भी दंश उनके छल का
कृते अंकेश
पालती है गर्भ में नौ महीने उस भ्रूण को
रचती है भाग्य और विधान उसके कल का
सहती है फिर भी दंश उनके छल का
कृते अंकेश
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