देखकर मुस्कान अधरों में कही वो खो गए
सेकड़ो की भीड़ से ऐसे अलग वो हो गए
महफिले सजती गयी, लोग भी बढते गए
बेखबर इनसे कही वो, बस अकेले हो गए
सेकड़ो की भीड़ से ऐसे अलग वो हो गए
महफिले सजती गयी, लोग भी बढते गए
बेखबर इनसे कही वो, बस अकेले हो गए
मिट रही थी दूरियां घट रहे थे फासले
फिर जुड़े जो नयन, नैनो को इशारे फिर मिले
और फिर न जाने क्यों, आँखों ने शर्म ओढ़ ली
देखकर उन आँखों को, आँखे कही फिर खिल उठी
और बस नैनों से ऐसे इशारे चलते रहे
बिन कहे और बिन सुने ख्वाब ही पलते रहे
थी कहानी भीड़ की, थी कहानी एकांत की
लेकिन कहानी थी मधुर, थी रही जो शांत ही
कृते अंकेश
फिर जुड़े जो नयन, नैनो को इशारे फिर मिले
और फिर न जाने क्यों, आँखों ने शर्म ओढ़ ली
देखकर उन आँखों को, आँखे कही फिर खिल उठी
और बस नैनों से ऐसे इशारे चलते रहे
बिन कहे और बिन सुने ख्वाब ही पलते रहे
थी कहानी भीड़ की, थी कहानी एकांत की
लेकिन कहानी थी मधुर, थी रही जो शांत ही
कृते अंकेश
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