पनघट से फिर चले क्यों सपने
कहा रहा वो तेरा वादा
में जुड़ता ही रहा था प्रतिपल
कहा रही फिर तुम ओ राधा
वंशी मेरी रही बुलाती
तेरे सपने रही सजाती
खोकर चाँद हुआ फिर आधा
कहा रहा वो तेरा वादा
देखो चले पवन के डेरे
पक्षियों ने पंख है फेरे
रवि किरणों ने किया उजाला
कहा रही फिर तुम ओ राधा
कहता श्याम मुझे जग सारा
श्याम ही श्यामल जग में हारा
राधा श्याम रूप रच आकर
निशा ने किया क्या तेरा वादा
कृते अंकेश
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