श्रम के मोलो में है डूबी
रात भी कैसी विचित्र
सेकड़ो काया जगी है
क्षुब्ध क्षुधा में संक्षिप्त
है महल में खोजती
स्वप्न योवन की कहानी
रास्ते में मिट रही है
सेकड़ो बस यु ही जवानी
रात भी कैसी विचित्र
सेकड़ो काया जगी है
क्षुब्ध क्षुधा में संक्षिप्त
है महल में खोजती
स्वप्न योवन की कहानी
रास्ते में मिट रही है
सेकड़ो बस यु ही जवानी
स्वर विषमता के सजे है
अब कहा संग्राम है
आपका क्या फिर हसोगे
आपको आराम है
मेरे घर की छत है सूरज
बस पिघलते दिन रात है
बारिशे ले जाती बहा
जो कुछ भी पास है
में नहीं हूँ मांगता
महल की एक साख हूँ
हूँ श्रमिक श्रम धर्म मेरा
शोषण के खिलाफ हूँ
कृते अंकेश
अब कहा संग्राम है
आपका क्या फिर हसोगे
आपको आराम है
मेरे घर की छत है सूरज
बस पिघलते दिन रात है
बारिशे ले जाती बहा
जो कुछ भी पास है
में नहीं हूँ मांगता
महल की एक साख हूँ
हूँ श्रमिक श्रम धर्म मेरा
शोषण के खिलाफ हूँ
कृते अंकेश
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