खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
किसी नयी मंजिल से जुड़ जाने का मन करता है
यहाँ तलाशे कितने रस्ते
टेढ़ी मेढ़ी गलिया भी
अब इन गलियों से बाहर जाने का मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
नहीं थका हूँ नहीं थकूंगा
मुझको है विश्राम कहा
लेकिन जीवन में कभी कभी मनमानी को मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
खिलते चेहरे मुस्कानों में घुला हुआ संगीत कहा
मुश्किल से थे कभी समेटे वो सारे तेरे गीत कहा
आज उसी संगीत में जा मिल जाने का मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
किसी नयी मंजिल से जुड़ जाने का मन करता है
कृते अंकेश
किसी नयी मंजिल से जुड़ जाने का मन करता है
यहाँ तलाशे कितने रस्ते
टेढ़ी मेढ़ी गलिया भी
अब इन गलियों से बाहर जाने का मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
नहीं थका हूँ नहीं थकूंगा
मुझको है विश्राम कहा
लेकिन जीवन में कभी कभी मनमानी को मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
खिलते चेहरे मुस्कानों में घुला हुआ संगीत कहा
मुश्किल से थे कभी समेटे वो सारे तेरे गीत कहा
आज उसी संगीत में जा मिल जाने का मन करता है
खोकर अपनी सीमाओ को कुछ पाने का मन करता है
किसी नयी मंजिल से जुड़ जाने का मन करता है
कृते अंकेश
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