जो देकर अपने सपनो को
यह विश्वास दिलाते है
है खेल मात्र यह जीवन रण
पत्थर भी यहाँ तर जाते है
है मधुर ज्ञान की वाणी वह
कटु शब्द पिरोये हुए कभी
उनसे ही बना व्यक्तित्व सरल
है जीवन का श्रृंगार वही
जिनके उर में बस सदा रहे
अपने कल की तस्वीर कही
जो जीतें है इस आशा में
बिखरे खुशबू इन सपनो की
हम जीत गए कभी हार गए
जो नहीं हार कभी पाते है
ऐसे शिक्षक तुल्य प्रभु के है
हम उनको शीश झुकाते है
कृते अंकेश
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