रात को अब जाना ही होगा
कह दो उनसे जो सोये है
सपनो के बादल में खोये है
निशा के मद में डूब कही
जो जीवन रंगों में खोये है
इस प्रहर को अब ढल जाना होगा
रात को अब जाना ही होगा ओ चंचल चन्द्र चांदनी
चातक चिंता में है डूबा
इन किरणों के भ्रम में शायद
स्वाति तेरा मोह भी छूटा
उन किरणों को लेकिन अब ढल जाना होगा
रात को अब जाना ही होगा
कृते अंकेश
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