सुन्दर छवि या मोहक चेहरा या मुस्कान निराली
तेरे इन रूपो पर कवियो ने कितनी कविता लिख डाली
आज नहीं पर मेरी कविता तेरे रूप के गुण गायेगी
नहीं आज यह फिर से तेरी मोहकता पर इठलाएगी
आज समर्पित कविता उनको जो नहीं रूप को गाती
सौम्य, चातुर्य और चरित्र से जिनकी सुंदरता आती
संघर्षो का जीवन जीती जो रह दूर किसी स्वप्न महल से
दुःख के सायो में भी चलती बिन हारे अपने कल से
उनके जीवन की करुणा में जग का सौन्दर्य छिपा है
उनके जीवन के आवेशो में जग का जोश छिपा है
उठकर आती अपने दम पर, अपना अस्तित्व है रखती
इस कविता की नायिका है वह , नहीं किसी पत्रिका की युवती
कृते अंकेश
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