वह उन बालो को सुलझाती या उलझाती यह नहीं पता
लेकिन में उनमे जा उलझा, बस इतना ही है मुझे पता
वह मुस्काती या मुस्कान खिला करती चेहरे पर नहीं पता
लेकिन में उन मुस्कानों में जा खोया बस इतना ही मुझे पता
बन उलझन एक पहेली वह हल करती या न नहीं पता
लेकिन में अब न और पहेली कोई सोचा करता, है मुझे पता
घुंघराले बालो की उलझन फिर ढून्ढ रही है किस हल को
है आज सामने जीवन जो फिर ढून्ढ रही है किस कल को
कृते अंकेश
लेकिन में उनमे जा उलझा, बस इतना ही है मुझे पता
वह मुस्काती या मुस्कान खिला करती चेहरे पर नहीं पता
लेकिन में उन मुस्कानों में जा खोया बस इतना ही मुझे पता
बन उलझन एक पहेली वह हल करती या न नहीं पता
लेकिन में अब न और पहेली कोई सोचा करता, है मुझे पता
घुंघराले बालो की उलझन फिर ढून्ढ रही है किस हल को
है आज सामने जीवन जो फिर ढून्ढ रही है किस कल को
कृते अंकेश
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