उडती रही घनघोर उदासी
छाया रहा कुहासा
कोई प्रेम में खोया सुधबुध
कोई रहा निर्वासा
कोई तकता मंजुल यादें
कोई रहा बस प्यासा
कोई चला ढूँढने पथ को
कोई अलसाया आधा
देख प्रखर जीवन की चर्या
यहाँ मार्ग उन्मुख है
सुख दुःख है बस पल के सपने
न राह कर्म निष्फल है
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment