विरह या मिलन
सोये हुए दोनों अकेले
परस्पर नजदीक
शून्य स्वप्न
आत्म चिंतन
या मात्र बंधन
जीवन
क्या छल है जीवन
ढकता रहा अन्धकार
करता रहा पुकार
सोये हुए दोनों अकेले
परस्पर नजदीक
शून्य स्वप्न
आत्म चिंतन
या मात्र बंधन
जीवन
क्या छल है जीवन
ढकता रहा अन्धकार
करता रहा पुकार
या शायद निवेदन
कृते अंकेश
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment