भौर भयी मन
खोल रे अखिया
आती किरण भी
जगती है सखियाँ
लाये नये रंग
दिन का उजाला
कोई सजायें
सपनो का प्याला
खेले कोई
पलको के किनारे
करता रहे कोई
बस यू इशारे
सपनो की धुन में
कोई है जाता
पवनो का झोका
हमे भी झुलाता
मन मेरा जैसे
वासुंदी खाये
आकर हमे भी
कोई जगाये
कृते अंकेश
खोल रे अखिया
आती किरण भी
जगती है सखियाँ
लाये नये रंग
दिन का उजाला
कोई सजायें
सपनो का प्याला
खेले कोई
पलको के किनारे
करता रहे कोई
बस यू इशारे
सपनो की धुन में
कोई है जाता
पवनो का झोका
हमे भी झुलाता
मन मेरा जैसे
वासुंदी खाये
आकर हमे भी
कोई जगाये
कृते अंकेश
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