हाथ में लेना तिरंगे को अगर अभिमान है
इसके रंगो की अगर तुमको फिर पहचान है
देखना न रंग कोई फिर तुम्हारे माथे चढ़े
जो चढ़े तो बस तिरंगा ही हमारी मृत देह पर चढ़े
कृते अंकेश
इसके रंगो की अगर तुमको फिर पहचान है
देखना न रंग कोई फिर तुम्हारे माथे चढ़े
जो चढ़े तो बस तिरंगा ही हमारी मृत देह पर चढ़े
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment