ankesh_writes
Saturday, April 19, 2014
बस साध लीजिये बात
जुड़े फिर जाने किससे
कितने होगे हाथ
आएंगे किसके हिस्से
यह दुनिया है घर
कि बेघर ढूंढें ठिकाना
आये गए है कितने
कितनो ने पहचाना
में समझा कुछ बात
की पाया खुद को भ्रम में
बीत जाये यह रात
चले जायेंगे नभ में
कृते अंकेश
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