माँ एक किताब लिखी जो तूने
उसका पन्ना आ उड़ यहाँ गिरा
लोग जरूरत पड़ने पर है पढ़ते
तुझ सा इसे न कोई समझा
यहाँ किताबे इतनी सारी
क्या तुझको में बतलाऊ
तेरा आँचल भी तो नहीं है
बोल कहा अब छिप पाऊ
तूने रखा संभाले जिसको
वो अब धूल में उड़ता है
पन्ना है यह लेकिन तेरा
अपनी लेखनी से टिकता है
कृते अंकेश
उसका पन्ना आ उड़ यहाँ गिरा
लोग जरूरत पड़ने पर है पढ़ते
तुझ सा इसे न कोई समझा
यहाँ किताबे इतनी सारी
क्या तुझको में बतलाऊ
तेरा आँचल भी तो नहीं है
बोल कहा अब छिप पाऊ
तूने रखा संभाले जिसको
वो अब धूल में उड़ता है
पन्ना है यह लेकिन तेरा
अपनी लेखनी से टिकता है
कृते अंकेश
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