इस अंधियारे युग में तुम जिसे प्रकाश समझते हो
वह तो एक दावानल है
अभी तुम्हे जगमगाहट दे रही है
लेकिन दूर नहीं दिन
जब वो सब कुछ जला जाएगी
जो लोग तुम्हे इससे दूर जाने को कहते है
समझो कि वो तुम्हारे शुभचिंतक है
वैसे इतना आसान भी नहीं है
प्रकाश को छोड़कर अन्धकार में जाना
लेकिन जो प्रकाश तुम्हे अनायास मिला है
वह तुम्हारा कैसे हो सकता है
समझो की यह मात्र भ्रम है
चेतो इससे पहले कि तुम्हारी चेतना शून्य हो जाए
कृते अंकेश