कौरवो की सुन व्यथा
यमराज भी रोने लगे
पांडवो की ध्रस्टता पर
धैर्य वो खोने लगे
तुम सैंकड़ो और वो पांच थे
फिर भी सदा लड़ते रहे
धर्म का इस कदर
अपमान वो करते रहे
क्या हुआ जो यदि
राज्य तुमने ले लिया
राजधर्म था यही
जो तुमने किया
छल कपट तो सदा
नीति राजधर्म है
एक नारी पांच नर
क्या यह सत्कर्म है
मत निराश हो पुत्र
शेष हूँ मैं अभी
न्याय धर्म और सत्य की
आस शेष है बची
कृते अंकेश
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