भारत जिसे हो कहते
जो देश है हमारा
सदियों से जिसने सबको
बस है दिया सहारा
कोई नहीं पराया
यहाँ सब हुए है अपने
सबने सजाये मिलकर
जिसके थे जो भी सपने
जो कर रहे है हिंसा
इतिहास से बेखबर है
पिघले अशोक जैसे
भी दिल कभी इधर है
शस्त्रों को यु तो हमने
है नहीं कभी सराहा
लेकिन मद में मादित
आक्रामको को छकाया
ओ मद में मादित मुसाफिर
क्यों घर को ही तोड़ते हो
चंद स्वार्थियो के बहकावे में
इंसानियत छोड़ते हो
यह हिंद है तुम्हारा
यह हिंद है हमारा
आओ संभाले इसको
हिंदोस्ता है प्यारा
कृते अंकेश
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