लगा मुझे ऐसा मानो तुम आये
और चले गए फिर बिना कुछ बताये
बैठा था मन मेरा एकाकी
खोया था जिसमे थी तुम्हारी झाकी
बेबस था मन
इसने सपने सजाये
लगा इसे रंगों में तुम निखर आये
छाया रही उडती थी आँगन में दिन भर
पंखो ने पकड़ी थी सपनो की सरगम
मैंने न जाने कितने गीत गए
लगा मुझे ऐसा मानो तुम आये
और चले गए फिर बिना कुछ बताये
कृते अंकेश
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