ankesh_writes
Sunday, August 26, 2012
मेरा जीवन रहा अकल्पित
त्याग तपस्या रही अधूरी
अधरों की मुस्कान अपरिचित
एक अनजान सी जीवन शेली
मुझे रंग की चाह नहीं थी
जीवन की परवाह नहीं थी
स्वप्न अधूरे रहे छलकते
विस्मृत नयनो से थे तकते
कृते अंकेश
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