दीप जलो तुम और जलो
देखो अँधियारा बचा हुआ
कही कही कुछ पलकों में
दुःख का साया छिपा हुआ
अपनी खुशियों से बिखेर दो
जग में रंग ख़ुशी के
ला सकते हो तो लोटा दो
चेहरों की मुस्काने सभी को
और बढ़ो तुम और बढ़ो
तुमसे ही आशाएं जीवन की
देख रही है सभी निगाहें
इस भूतल जलतल नभतल की
करो प्रकाशित जीवन को
आज जला दो अपनी लो में
हर विपदा विपत्ति विघ्न को
फिर विजय के गान युगों तक
यु ही गाये जायेंगे
ये दीप सदा हर घर में बस यु ही जलते जायेंगे
कृते अंकेश
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