जूते की अभिलाषा
चाह नहीं है किसी सुंदरी के
पैरो मैं जा इठलाऊ
चाह नहीं है किसी बड़े शोरूम में
सजाया जाऊ
चाह नहीं है मंदिरों के बाहर में
छोड़ा जाऊ
मुझे उठा लेना ओ राही
देना तुम उस सर पर फेक
भ्रस्टाचारी और घूसखोर कोई
इठलाता हो जहा बना नेक
कृते अंकेश
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